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What is hibernation in animals in Hindi - hibernation kya hota hai | hibernation in hindi

What is hibernation in animals in Hindi 

hibernation kya hota hai | 

hibernation in hindi

स्वागत है दोस्तों आप सभी का हमारे ब्लॉग जानकारी हो अच्छी में, दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं हाइबरनेशन के बारे में कि हाइबरनेशन क्या होता है और कौन-कौन से जीव हैं जो है हाइबरनेशन में जाते हैं।

hibernation kya hota hai | hibernation in hindi



Hibernation in hindi | हाइबरनेशन इन हिंदी


 भारत में अमूमन नवंबर दिसंबर के महीने से कड़ाके की ठंड पड़ने लगती है और लगभग फरवरी के अंत तक धीरे धीरे ठंड कम पड़ने लगती है। ऐसे में हम ठंड से बचाव के लिए कई तरह के उपाय करते है जैसे - ऊनी वस्त्र पहनना, कम्बल का प्रयोग करना,गर्म जल पीना इत्यादि। ऐसे बहुत सारे कार्य है जो हम ठंड से बचने के लिए करते है। परन्तु क्या हमने ये कभी सोचा है कि जीव जंतु ठंड से बचने के लिए क्या करते है। वे हमारी तरह रजाई, कम्बल इत्यादि का प्रयोग तो नहीं कर सकते है तो फिर वे ऐसा क्या करते है की वे ठंड से बच सके। वे ठंड के मौसम शुरू होने के पहले से ही वे तैयारी शुरू कर देते हैं वह जमीन के अंदर या पेड़ के खोड़र में सो रहे होते हैं।

Haibretation in animals | ठंड से बचने का अनोखा तरीका है हाइबरनेशन

खासकर बर्फीले क्षेत्रों में रहने वाले जीव अपने शरीर की चर्बी को कई महीने पहले  बढ़ाकर हाइबरनेशन या सीत निद्रा में चले जाते हैं । आमतौर पर हमने यह देखा होगा कि ठंड के मौसम में कई जीव जंतु हमें दिखाई नहीं देते हैं दरअसल वह हमें इसीलिए नहीं दिखाई देते हैं क्योंकि वह हाइबरनेशन में चले जाते हैं । दोस्तों हमारे मन में यह सवाल जरूर आता होगा की जब वे जमीन के अंदर बहुत समय तक के लिए शीत निद्रा में चले जाते हैं तो उनको पोषण कहां से मिलता होगा क्योंकि वह उस समय कुछ भी खाते पीते भी नहीं होंगे हमने पहले भी बताया कि वह इस प्रक्रिया के लिए कई महीनों पहले से तैयारी शुरू कर देते हैं। वे पहले से ही अपने शरीर की चर्बी को बढ़ाना शुरू कर देते हैं और यही बढ़ी हुई चर्बी शीत निद्रा की अवस्था में धीरे धीरे जलती रहती है और उनकी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करती है। चूकि शीत निद्रा के दौरान कोई भी जानवर शारीरिक गतिविधि नहीं करते हैं तो उन्हें ज्यादा ऊर्जा की आवश्यकता नहीं होती है और शीत निद्रा के दौरान हुए नींद का लुफ्त भी उठाते हैं । शीत निद्रा के दौरान उनकी सांस बहुत धीमी गति से चलती है।

क्या होता है हाइबरनेशन


 हाइबरनेशन या शीत निद्रा एक अवस्था है जिसमें कुछ जानवर, पक्षी और सरीसृप जमीन के नीचे या ऐसी जगह छिप जाते हैं जहां उन पर ठंड का असर ना हो। और वे उस  सुरक्षित जगह पर ठंड के मौसम में तीन चार महीने लगातार सोए रहते हैं। उनकी लंबी नींद की इसी अवस्था को हाइबरनेशन या शीत निद्रा कहते हैं। जब मौसम बदलता है तो यह प्राणी अपनी शीत निद्रा से जागते हैं और धीरे-धीरे बाहर आकर सामान्य जीवन में वापस लौट आते है।



 हाइबरनेशन में जाने वाले प्रमुख  जीव


1. चमगादर

चमगादर एक फ्लाइंग मैमल है। चमगादर के लिए ठंड का मौसम बहुत ही कठिनाइयों से भरा होता है। इस मौसम में इनको खाने के लिए पर्याप्त मात्रा में कीट पतंगे नहीं मिल पाती है। ऐसी स्थिति में सर्वाइकल के लिए उन्हें हाइबरनेशन में जाना पड़ता है। उत्तरी ध्रुवीय देशों में अधिकांश चमगादर शीतकाल में खंडहरों, घंटाघर, कंदराओं और जंगलों में निष्क्रिय पड़े रहते हैं । ठंड के मौसम में इनकी शारीरिक क्रिया बहुत मंद हो जाती है और यह निद्रा वस्था में हो जाते हैं। जंगली भूरे चमगादर 64 से 66 दिनों तक नींद की अवस्था में रहते हैं। इन्हें इस दौरान भोजन की आवश्यकता नहीं होती है लेकिन उन्हें अपनी प्यास बुझाने के लिए शीत निद्रा से जागना पड़ता है।

2  भालू
 हालांकि भालू शीत निद्रा में जाने वाले जीव नहीं होते हैं। भालू ठंड की वजह से सुस्त हो जाते हैं और वे अपना शिकार भी ढंग से नहीं कर पाते हैं। ऐसी स्थिति में ये भालू जमीन में खोदे गए  गड्ढे, मांद, गुफाओं या खोखले पेड़ो में सोकर बिताते हैं। भालू की 4 तरह की प्रजातियां अधिकांश समय जमीन में खोदे गए गड्ढे, मांद, खोखले पेड़ो इत्यादि में अपना समय सोकर बिताते हैं। अमेरिकी काले भालू, एशियाई काले भालू, भूरे भालू, ध्रुवीय भालू यह 4 प्रजातियां हैं जो सर्दियों के दिन नींद में बिताना पसंद करते हैं। शीत निद्रा के दौरान काले भालू का ह्रदय प्रति मिनट 40 से 50 बीट्स से गिरकर 8 बिट्स तक हो जाता है। यह लगभग 4 से 6 महीने तक बिना भोजन पानी के आराम से रह सकते हैं। इस दौरान यह कभी-कभार ही मल मूत्र त्याग करते हैं।

3.  एल्पाइन मेरमोट्स

 यह जीव चूहे की फैमिली का सदस्य है। यह जीव यूरोप में पाया जाता है। अल्पाइन मेरमोट्स के हाइबरनेशन की समय अवधि 8 महीने से ज्यादा होती है। साल के बाकी 4 महीने अल्पाइन शीत निद्रा से जागकर प्रजनन और अगली शीत निद्रा में जाने से पहले भोजन और छुपने आदि की तैयारी में लगाते हैं। गिलहरी आदि जीव के हाइबरनेशन प्रक्रिया भी इनके जैसी ही होती है

4.  मधुमक्खी 

तापमान गिरने पर नर और अन्य काम करने वाली मधुमक्खियां मर जाती है। लेकिन रानी मधुमक्खी हाइबरनेशन में जाने के कारण खुद को बचा पाती है। 6 से 8 महीने शीत निद्रा में रहकर जब वह बाहर आती है तो नया छत्ता बनाती है और मधुमक्खियां की एक पूरी नई टीम फिर से तैयार करती है।

5. कछुआ

 कछुओं की सुनने और सूंघने की ताकत बहुत ज्यादा होती है। कछुआ की कई प्रजातियां विलुप्त हो चुकी है और कई प्रजातियां अभी भी खतरे में है। यह 77 से 154 दिनों के लिए शीत निद्रा में जाते हैं दक्षिणी व उत्तरी अमेरिका और इसके आसपास इलाकों में ये छिपे हुए पाए जाते हैं।

6. घोंघा

 ठंड के मौसम आते ही घोघा सोने के लिए एक बिस्तर का निर्माण करती है। इस दौरान यह अपने उपरी खोल में चला जाता है और त्वचा के क्षेत्र को चौक और कीचड़ से बंद करता है। शीत निद्रा के दौरान घोघा जरा भी ऊर्जा का उपयोग नहीं करता इसीलिए उसे भोजन की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

 रोचक बातें
  • शीत निद्रा के दौरान जीवो की  सांस बहुत धीमी गति से चलती है।
  •  इस दौरान ज्यादातर जीव न तो शिकार करते हैं और ना ही खाना पीना खाते हैं।
  •  इस अवस्था में जीव कोमा या बेहोशी की स्थिति में रहते हैं।
  •  जीवित रहने के लिए इनके शरीर में जमी चर्बी वसा और पोषक तत्व मदद करते हैं।
  •  जब मौसम बदलता है तो यह जीव शीत निद्रा से जागते हैं और धीरे-धीरे बाहर आकर सामान्य जीवन व्यतीत करते हैं।
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