bharat ke prasidh vaigyanik । भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिक
स्वागत है दोस्तों आप सभी का हमारे ब्लॉक जानकारी अच्छी में,दोस्तों आज हम बात करने वाले भारतीय कुछ प्रसिद्ध वैज्ञानिक के बारे में जिन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान दिया है।
भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिक। bharat ke prasidh vaigyanik
- सीवी रमन
- एपीजे अब्दुल कलाम
- होमी जे भाभा
- विक्रम साराभाई
- श्रीनिवास रामानुजन
- सत्येंद्र नाथ बोस
- बीरबल साहनी
- अमर्त्य सेन
सी•वी रमन [चंद्रशेखर वेंकटरमन] का जन्म 7 नवंबर 1888 ईस्वी को तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली नामक स्थान में हुआ था। इनके पिता का नाम चंद्रशेखर आजाद था जो एस पी जी कॉलेज में भौतिकी के प्राध्यापक थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा विशाखापट्टनम में हुई। उन्होंने 12 वर्ष की उम्र में ही मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी इसी कारण उन्हें श्रीमती एनी बेसेंट के भाषण सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। भारत में विज्ञान को नई ऊंचाई प्रदान करने में उनका काफी योगदान रहा है। भारत सरकार ने विज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के कारण उन्हें भारत रत्न से नवाजा है। इसके साथ ही उन्हें लेनिन शांति पुरस्कार से भी नवाजा गया है जो संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा दिया जाता है। प्रकाश के प्रकीर्णन और रमन प्रभाव की खोज के लिए उन्हें 1930 ईस्वी में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वह वर्ष 1948 में आईएएस से सेवानिवृत्त हुए सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने बेंगलुरु में रमन इंस्टिट्यूट की स्थापना की। रमन इफेक्ट की खोज के उपलक्ष में 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है। उनका निधन 21 नवंबर 1970 को बेंगलुरु में हुआ था।
एपीजे अब्दुल कलाम
एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 ईस्वी को धनुषकोडी गांव (रामेश्वरम, तमिलनाडु) में एक मध्यम वर्ग मुस्लिम परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम जैनुलाब्दीन था जो ज्यादा पढ़े लिखे नहीं थे और गरीब थे। अब्दुल कलाम ने अपनी आरंभिक शिक्षा जारी रखने के लिए अखबार वितरण का कार्य भी किया था। 1972 में वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन से जुड़े ।1980 में इन्होंने रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित किया था। इन्होंने अग्नि एवं पृथ्वी जैसे प्रक्षेपास्त्र को स्वदेशी तकनीक से बनाया था। भारत की परमाणु शक्ति को सुधारने में उनके महान योगदान के लिए उन्हें भारत का मिसाइल मैन कहा जाता है । उन्हें अपने कार्यों के लिए भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया है। यहां भारत को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया का सिरमौर राष्ट्र बनते देखना चाहते थे।
होमी जे भाभा
होमी जहांगीर भाभा भारत के महान परमाणु वैज्ञानिक थे। उन्हे भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम का जनक कहा जाता है। होमी जहांगीर भाभा का जन्म मुंबई के एक अमीर पारसी परिवार में 30 अक्टूबर 1909 को हुआ था। उनके पिता एक जाने-माने वकील थे। वर्ष 1948 में डॉक्टर भाभा ने भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना की। डॉक्टर भाभा को 5 बार भौतिकी के नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया परंतु इन्हें यह सम्मान नहीं मिल पाया। भारत सरकार ने उन्हें पद्मभूषण के अवार्ड से सम्मानित किया है । डॉक्टर भाभा की मृत्यु 24 जनवरी 1966 को एक विमान दुर्घटना में हुई थी।
विक्रम साराभाई
विक्रम साराभाई भारत के प्रमुख वैज्ञानिक थे। इनका जन्म 12 अगस्त 1919 को गुजरात, भारत के अहमदाबाद शहर में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री अंबालाल साराभाई तथा माता का नाम श्रीमती सरला साराभाई था। डॉक्टर होमी जे भाभा की मृत्यु के बाद डॉक्टर साराभाई को परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष का कार्यभार संभालने को कहा गया। डॉक्टर साराभाई एक महान संस्थान निर्माता थे। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में बड़ी संख्या में संस्थान स्थापित करने में सहयोग दिया। सराभाई द्वारा स्थापित सर्वाधिक जानी-मानी संस्थाओं के नाम कुछ इस प्रकार है।
भौतिकी अनुसंधान प्रयोगशाला अहमदाबाद
भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद
सामुदायिक विज्ञान केंद्र
विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र
भारतीय इलेक्ट्रॉनिक निगम लिमिटेड
भारतीय यूरेनियम निगम लिमिटेड
श्रीनिवास रामानुजन
रामानुजन का जन्म 22 दिसंबर 1887 को भारत के दक्षिणी भूभाग में स्थित कोयंबटूर के इरोड नामक गांव में हुआ था इनके पिता का नाम श्रीनिवास अयंगर था। रामानुजन को गणित प्रेम बहुत था इसी वजह से वह दूसरे विषयों पर ध्यान नहीं दे पाते थे जिसके कारण 11वीं की परीक्षा में केवल गणित को छोड़कर बाकी सभी विषयों में फेल हो गए थे। रामानुजन को आधुनिक काल के महान गणित विचारको में गिना जाता है। उन्होंने अपने जीवन काल में गणित के विश्लेषण एवं संख्या पद्धति के सिद्धांतों के क्षेत्रों में गहन योगदान दिया।
सत्येंद्र नाथ बोस
सत्येंद्र नाथ बोस का जन्म 1 जनवरी 1894 को कोलकाता में हुआ। सत्येंद्र नाथ बोस के पिता सुरेंद्र नाथ बोस ईस्ट इंडियन रेलवे कंपनी के इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में काम करते थे। उनके खोजे गए पार्टिकल बोसॉन पर काम करने के लिए कई वैज्ञानिकों को नोबेल मिला है और खुद सत्येंद्र नाथ बोस को इसके लिए नोबेल नहीं दिया गया। बोस को क्वांटम फिजिक्स में किए गए उनके कामों के लिए दुनिया भर में जाना जाता है।
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